कंप्यूटर नेटवर्क क्या हैं? नेटवर्क के प्रकार? What is Computer Network?

हेलो दोस्तों, आज हम इस पोस्ट में कंप्यूटर नेटवर्क के बारे में सीखेंगे। कंप्यूटर नेटवर्क क्या हैं? कंप्यूटर नेटवर्क के प्रकार? नेटवर्क की परिभाषा? नेटवर्क का इतिहास? नेटवर्क डिवाइस कौन कौन सी हैं? कंप्यूटर नेटवर्क के उपयोग? इत्यादि। जब कोई दो या दो से ज्यादा कंप्यूटर आपस में किसी Medium के जरिये connect होते हैं।  तो उसे नेटवर्क कहते हैं। कंप्यूटर को आपस में जोड़ने का मकसद हैं Information Share करना। पहले के लोगों के पास इंफॉर्मेशन शेयर करने के लिए इतने साधन available नहीं थे। लोगों को कई दिन लग जाते थे इंफॉर्मेशन एक जगह से दूसरे जगह तक शेयर करने में।

कंप्यूटर नेटवर्क क्या हैं? नेटवर्क के प्रकार? What is Computer Network?

इससे उस समय के लोगों को काफी ज्यादा परेशानी भी होती थी। उन्हें एक जगह से दूसरी जगह तक सूचना या संदेश भेजने में काफी ज्यादा समय लग जाता था। इंफॉर्मेशन शेयर करने के लिए उन्हें दूर दूर तक जाना पढ़ता था, जिस कारण उन्हें थकावट हो जाती थी। और कभी कभी तो सूचना या संदेश दूसरी जगह तक पहुंच ही नहीं पाता। आपको बता दें यहां पर इंफॉर्मेशन, सूचना और संदेश का मतलब – documents, text message, files, photos, videos, songs, etc. हो सकती हैं।

नेटवर्क क्या हैं? (What is Network?)

आसान शब्दों में समझे तो, दो या दो से अधिक कंप्यूटर को जब किसी medium के जरिए एक साथ जोड़ा जाता है तो उसे नेटवर्क कहते हैं। यहां पर मीडियम का अर्थ wire और wireless से है। Wire Medium के जरिए हम कंप्यूटर को Fiber Optics Cable, Twisted Pair Cable या Coaxial Cable के जरिए कंप्यूटर को कनेक्ट कर सकते हैं। और Wireless की बात करे तो इसमें हम, दो या दो से अधिक कंप्यूटर को WiFi, Bluetooth, Infrared या Satellite के जरिए जोड़ सकते हैं।

कंप्यूटर नेटवर्क का प्रयोग text, documents, audio, files, video, etc. डाटा को एक कंप्यूटर से दूसरे कंप्यूटर तक भेजने के लिए किया जाता है। नेटवर्क को आमतौर पर डाटा शेयरिंग के लिए ही इस्तेमाल किया जाता है। नेटवर्क का सबसे सटीक उदाहरण इंटरनेट है। जहां पर हजारों लाखों लोग आपस में connected रहते हैं और डाटा शेयर करते हैं। Router, Switch, Hub, Modem, Etc. ये सभी नेटवर्क devices हैं।

नेटवर्क की परिभाषा (Definition of Network)

नेटवर्क विभिन्न संचार माध्यमों द्वारा आपस में जुड़े दो या दो से अधिक स्वतंत्र कंप्यूटरों का समूह है जिसमें नेटवर्क से जुड़े कंप्यूटर समान नियमों का अनुपालन कर आपस में डाटा व सूचनाओं का आदान-प्रदान तथा संसाधनों का साझा उपयोग करते हैं।

दो या दो से अधिक परस्पर जुड़े हुए कंप्यूटर या अन्य डिजिटल युक्तियों और उन्हें जोड़ने वाली व्यवस्था को नेटवर्क कहते हैं।

एक या अधिक कंप्यूटर को तार रहित या तार सहित माध्यम के द्वारा आपस में जोड़ा जाता है और सूचना या संदेश का आदान प्रदान किया जाता है, तब इस तकनीक को नेटवर्क कहा जाता है।

एक नेटवर्क से जितने भी कंप्यूटर जुड़े होते हैं उन सभी कंप्यूटरों को Node कहते हैं। नेटवर्क, डाटा शेयरिंग के साथ-साथ संसाधन (Resource Sharing) का भी आदान-प्रदान करता है। Printer Sharing, Resource Sharing का सभी अच्छा उदाहरण हैं। इंटरनेट नेटवर्क का सबसे बड़ा उदाहरण है। हम इंटरनेट की मदद से किसी को भी कभी भी कोई भी डाटा जैसे – images, videos, documents, audio files, etc. शेयर कर सकते हैं।

यह सब सिर्फ और सिर्फ नेटवर्क की मदद से ही हो सकता है। बिना नेटवर्क के इंटरनेट भी नहीं चल सकता। अगर हम मोबाइल का उदाहरण ले, तो हम सभी का फोन टावर के साथ कनेक्टेड रहता है और टावर हमेशा नेटवर्क से जुड़ा रहता है। जब हम मोबाइल से किसी को कॉल करते हैं या इंटरनेट चलाते हैं, और अगर कॉल नहीं लगती हैं या इंटरनेट नहीं चलता है तो हम कहते हैं Network Problem हैं। तो अब आप समझ गए होंगे कि नेटवर्क क्या है।

नेटवर्क के फायदे (Benefits of Network)

नेटवर्क के निम्नलिखित फायदे (लाभ) हो सकते हैं :
विभिन्न कंप्यूटर द्वारा आपस में सूचनाओं का आदान-प्रदान।
 सूचनाओं का तीज गति और शुद्धता (Speed & Accuracy) के साथ आदान प्रदान।
 कम खर्च में डाटा का आदान-प्रदान।
 संसाधनों (Resource Sharing) को भी आसानी से कई कंप्यूटर के साथ साझा (Share) किया जा सकता है। जैसे – प्रिंटर शेयरिंग, स्कैनर, CD ROM ड्राइव, इत्यादि।
 एप्लीकेशन और सॉफ्टवेयर को भी दूसरे कंप्यूटर के साथ शेयर किया जा सकता है।
 नेटवर्क के मदद से यूजर्स email, video, audio, images, text messages, etc. Send कर सकता हैं।

कंप्यूटर नेटवर्क का उपयोग (Uses of Network)

 किसी एक प्रोजेक्ट पर कई सारे उपयोगकर्ताओं को एक साथ जोड़ कर काम करने के लिए।
 किसी भी सूचना, संदेश या डाटा को एक कंप्यूटर से कई सारे कंप्यूटर में शेयर करने के लिए।
 किसी एक फाइल को कई सारे कंप्यूटर में खोलने के लिए या ट्रांसफर करने के लिए।
 कई सारे कंप्यूटर से केवल एक ही प्रिंटर पर प्रिंट निकालने के लिए।


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नेटवर्क उपकरण (Network Devices)

दो या दो से अधिक कंप्यूटर को नेटवर्क से जोड़ने के लिए हमें किसी नेटवर्क डिवाइस का उपयोग करना पड़ता है। नेटवर्क डिवाइसेज कई प्रकार के होते हैं और सभी डिवाइसेज का अलग-अलग स्थान पर अलग-अलग कार्य होता है। तो चलिए सभी नेटवर्किंग डिवाइसेज को विस्तार से जानते हैं।

➤ HUB

विभिन्न हार्डवेयर डिवाइसेज को आपस में जोड़ने के लिए हब का प्रयोग किया जाता हैं। हब के द्वारा दो या अधिक नेटवर्क को आपस में जोड़ा जाता हैं ताकि वे डाटा का आदान प्रदान कर सकें। यह Physical Layer में काम करती हैं, इस कारण यह सभी Networking Devices को आपस में Physically जोड़ता है। HUB में कई Port होते हैं। किसी एक पोर्ट पर आने वाला डाटा हब के प्रत्येक पोर्ट पर उपलब्ध होता है।तो इस प्रकार, हब डाटा का मार्ग प्रदान करता हैं।

वो हब जो डाटा ट्रांसफर के लिए केवल मार्ग प्रदान करता है, Passive Hub कहलाता हैं। अगर Hub Data Transfer के दौरान मार्ग प्रदान करने के अलावा डाटा को मॉनिटर भी करता हैं, तो वह Intelligent Hub कहलाता हैं। जो हब डाटा पैकेट पर अंकित पते की पहचान कर प्रत्येक पैकेट को उचित मार्ग पर प्रेषित करता है, वह Switching Hub कहलाता हैं।

 Switch
Switch एक हार्डवेयर उपकरण है, जो विभिन्न कंप्यूटरों को नेटवर्क से जोड़ता है। स्विच, हब से ज्यादा intelligent होता हैं। क्योंकि हब केवल डाटा पैकेट को Forward करती हैं, लेकिन स्विच डाटा पैकेट को फॉरवर्ड करने के साथ साथ डाटा को Filter भी करता हैं। इसके लिए यह नेटवर्क से जुड़े कंप्यूटर के MAC एड्रेस (Media Access Control Address) का प्रयोग करता हैं।

➤ Bridge
Bridge भी एक हार्डवेयर उपकरण हैं जो समान प्रोटोकॉल का उपयोग कर रहे दो LAN (Local Area Network) को आपस में जोड़ता हैं। यह प्रत्येक डाटा पैकेट की जाँच कर उन्हें उसी LAN को भेजता हैं जिसके लिए डाटा बना होता हैं। इस प्रकार, ब्रिज नेटवर्क में डाटा ट्राफिक को नियंत्रित करता हैं।


 Router
इंटरनेट पर डाटा संकेतों को पैकेट बनाकर एक स्थान से दूसरे स्थान तक भेजा जाता है। डाटा पैकेट्स को सबसे छोटे और सबसे तेज (Shortest & Fastest Way) मार्ग द्वारा निर्धारित पते तक पहुंचाने का काम राउटर करता है। राउटर, सॉफ्टवेयर की मदद से नेटवर्क पर भेजे गए डाटा पैकेट पर लिखें पते (Address) को चेक करता है और उसे सही दिशा में सेंड (Send) करता है। इसके लिए राउटिंग टेबल (Routing Table) का इस्तेमाल किया जाता है।

राउटर नेटवर्क, गेटवे (Gateway) पर स्थापित किया जाता है और दो या दो से अधिक नेटवर्क से जुड़ा होता है। यह अलग-अलग टोपोलॉजी, प्रोटोकॉल और Communication Medium का प्रयोग करने वाले नेटवर्क के बीच डाटा ट्रांसफर का कार्य करता है। राउटर हार्डवेयर या सॉफ्टवेयर या दोनों के मिश्रण से कार्य करता है। यह दो नेटवर्क को आपस में Wire या Wireless के माध्यम से जोड़ता हैं। आजकल ज्यादातर Wireless Router का ही इस्तेमाल हो रहा हैं।

 Modem
मॉडम एक बहुत ही पॉपुलर नेटवर्क डिवाइस हैं, जिसे आजकल इंटरनेट चलाने के लिए ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है। यह Modulator Demodulator के शॉर्ट फॉर्म हैं। मॉडम टेलीफोन लाइन के माध्यम से कंप्यूटर को नेटवर्क से जोड़ता है। एक normal टेलीफोन लाइन सिर्फ एनालॉग (Analog) डाटा को ही समझ सकता है। जबकि कंप्यूटर डिजिटल डाटा यानी Binary 0 और 1 को समझता है। मॉडम, कंप्यूटर में बनने वाले डिजिटल डाटा को एनालॉग डाटा में बदलता हैं, और उसे टेलीफोन लाइन पर भेजता है। जिसके बाद टेलीफोन लाइन में प्राप्त एनालॉग डाटा को मॉडम, डिजिटल डाटा में बदलकर कंप्यूटर के उपयोग के लायक बनता है, और दूसरे कंप्यूटर में भेज देता है।

डिजिटल डाटा को एनालॉग डाटा में बदलना Modulation कहलाता हैं। जबकि एनालॉग डाटा को डिजिटल डाटा में बदलना Demodulation कहलाता हैं। मॉडम की स्पीड को बॉड (Baud) में मापा जाता है। नए Communication Medium जैसे – ISDN, DSL, Cable Modem, Fiber Optic, Etc. जिनमे डिजिटल डाटा को सीधे भेजा जा सकता है, इनके साथ मॉडम के प्रयोग की आवश्यकता नहीं पड़ती है। मॉडम को सिस्टम यूनिट के कम्युनिकेशन पोर्ट (Communication Port) से कंप्यूटर और संचार माध्यम (Communication Medium) के बीच जोड़ा जाता है। मॉडम, सेंडर (Sender) और रिसीवर (Receiver) दोनों कंप्यूटरों के साथ जुड़ा होता है। दो प्रकार के मॉडम होते हैं :
         i) Internal Modem
        ii) External Modem

 Repeater
रिपीटर एक इलेक्ट्रॉनिक नेटवर्क डिवाइस हैं जो नेटवर्क सिग्नल पॉवर को बढ़ाने में मदद करता हैं। यह डाटा को lost होने से बचाता है। यह एक ऐसा नेटवर्क डिवाइस हैं जो data signal को receive करता हैं और उसे re transmit करता हैं। नेटवर्क में डाटा सिग्नल को लंबी दूरी तय करनी पड़ सकती है, जिससे डाटा signals के lost होने की संभावना बढ़ जाती है। रिपीटर की मदद से डाटा को बिना lost हुए दूर तक पहुंचाया जा सकता है। रिपीटर एक हार्डवेयर डिवाइस हैं जो Communication Medium से डाटा signal को लेकर उन्हें convert करता हैं और Re Communication Medium पर भेजता हैं। इस प्रकार रिपीटर नेटवर्क के दो भागों को आपस में जोड़ता है।

नेटवर्क के प्रकार (Types of Network)

Classification of Network, Types of Network, Local Area Network, Metropolitan Area Network, Wide Area Network, LAN, MAN, WAN

 लोकल एरिया नेटवर्क (LAN – Local Area Network)

Local Area Network को शॉर्ट फॉर्म में LAN कहा जाता है। यह काफी ज्यादा पॉपुलर नेटवर्क टाइप हैं, एक निश्चित और छोटे geographic area (1KM से 10KM) में आपस में जुड़े कंप्यूटर का जाल, लोकल एरिया नेटवर्क (LAN) कहलाता है। इस नेटवर्क का उपयोग किसी एक ऑफिस, फैक्ट्री, स्कूल, कॉलेज या विश्वविद्यालय कैंपस में कुछ किलोमीटर क्षेत्र तक ही फैला रहता है। LAN पर किसी एक व्यक्ति या संस्थान का पूरा कंट्रोल होता है। इसका आकार यानी क्षेत्र काफी छोटा होता है लेकिन डाटा ट्रांसफर की स्पीड काफी फास्ट होती है और इसमें error कम होती है।

LAN का इस्तेमाल, resource sharing, data sharing, printer sharing, data storage, document printing, etc. के लिए किया जाता है। एक लोकल एरिया नेटवर्क स्थापित करने के लिए बहुत ज्यादा resources की जरुरत नहीं पड़ती है, केवल HUB, Switch, Network Adapter, Router या Ethernet Cable के जरिए बना सकते हैं। LAN में हम एक साथ 1000 कंप्यूटर को आपस में जोड़ सकते हैं। सबसे छोटा LAN 2 कंप्यूटर को जोड़ कर बनता हैं। ज्यादातर LAN का उपयोग Ethernet Cable के जरिए किया जाता है। लेकिन आजकल इसका Wireless भी use हो रहा है।

LAN की खासियत है – Fast Speed, Low Expenses & More Security. मतलब यह कि इस नेटवर्क में स्पीड बहुत ज्यादा है, खर्चे कम है और सिक्योरिटी भी बहुत अधिक है। इस प्रकार, छोटे क्षेत्र के लिए लोकल एरिया नेटवर्क सबसे बढ़िया नेटवर्क होता है। LAN में कंप्यूटर को जोड़ने के लिए बस टोपोलॉजी (Bus Topology) और Coaxial Cable का प्रयोग किया जाता है। छोटी क्षेत्र में फैले होने के कारण इसमें रख रखाव करना बहुत आसान होता है।

➤ मेट्रोपॉलिटन एरिया नेटवर्क (MAN – Metropolitan Area Network)

मेट्रोपॉलिटन एरिया नेटवर्क को शॉर्ट में में कहा जाता है। यह किसी बड़े geographical area (100KM के Radius मे) में स्थित कंप्यूटर को आपस में जोड़कर एक नेटवर्क बनत हैं, जिसे मेट्रोपॉलिटन एरिया नेटवर्क (MAN) कहते हैं। इसका उपयोग किसी एक ही शहर में स्थित निजी या सार्वजनिक कंप्यूटरों को जोड़ने में किया जाता है। यह किसी एक शहर के स्कूल, कॉलेज, यूनिवर्सिटी, हॉस्पिटल, गवर्नमेंट ऑफिस, इत्यादि को आपस में नेटवर्क से जोड़ने का कार्य करती है।

MAN का सबसे अच्छा उदाहण हैं – किसी एक सहर का केबल टेलीविजन नेटवर्क (Cable TV Network). इसका प्रयोग limited geographical area में स्थित विभिन्न लोकल एरिया नेटवर्क (LAN) को आपस में जोड़ने के लिए भी किया जाता है। आसान शब्दों में समझें तो किसी सहर के कई सारे लोकल एरिया नेटवर्क को आपस में जोड़कर एक मेट्रोपॉलिटन एरिया नेटवर्क बनता है। किसी बड़े बिजनेस में भी MAN का उपयोग होता है, जिसके जरिए कई branches को आपस में नेटवर्क से connect किया जाता है।

 वाइड एरिया नेटवर्क (WAN – Wide Area Network)

वाइड एरिया नेटवर्क को शॉर्ट में WAN कहा जाता हैं। यह एक Extensive Geographical Area मतलब पूरे देश या पूरी दुनिया में फैले कंप्यूटरों को जोड़ने वाला नेटवर्क हैं। लोकल एरिया नेटवर्क और मेट्रोपॉलिटन एरिया नेटवर्क को जोड़कर वाइड एरिया नेटवर्क बनता है। वैसे तो यह सबसे बड़ा नेटवर्क होता है जो पूरी दुनिया के कंप्यूटर को आपस में जोड़ कर रखता है। WAN की सबसे बड़ी खासियत है कि यह ज्यादा distance को cover कर सकता है और इसमें डाटा रेट (Data Rate) बहुत कम होती है।

WAN का सबसे अच्छा उदाहरण इंटरनेट (Internet) हैं। इसमें कंप्यूटरों को public telephone, fiber optic cable, या artificial communication satellite के द्वारा आपस में जोड़ा जाता है। इसमें speed बहुत कम होती हैं और error के chances भी ज्यादा होती हैं। WAN का सबसे बड़ा कम्युनिकेशन नेटवर्क इंटरनेट ही है। इसे Long Haul Network भी कहा जाता है। कंप्यूटर मेंटेनेंस कॉरपोरेशन (CMC) द्वारा विकसित इंडोनेट (Indonet) भारत में WAN का उदाहरण हैं। वैसे वाइड एरिया नेटवर्क के और भी कई उदाहरण है जैसे – Railway Reservation Network, Airlines Reservation Network, Banking Network, Military Network, Large Corporate Network, Etc.

 पर्सनल एरिया नेटवर्क (PAN – Personal Area Network)

पर्सनल एरिया नेटवर्क को शॉर्ट में PAN कहा जाता है। किसी एक घर या छोटे संस्था के अधिकार क्षेत्र के अंदर कुछ दूरी (10 मीटर से 100 मीटर) तक कंप्यूटर का अपने ही उपकरणों (Devices) से connect कर communicate करना पर्सनल एरिया नेटवर्क कहलाता है। इसका प्रयोग करके कंप्यूटर को इंटरनेट से भी जोड़ा जा सकता है। अगर इसमें कंप्यूटर्स को आपस में जोड़ने के लिए Wireless Medium का प्रयोग किया जाए तो इसे वायरलेस पर्सनल एरिया नेटवर्क (WPAN) कहा जाता है।

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नेटवर्क टोपोलॉजी (Network Topology)

नेटवर्क टोपोलॉजी, नेटवर्क के लेआउट (Layout) को कहा जाता है। नेटवर्क के विभिन्न नोड (Node) या टर्मिनल्स (Terminals) को आपस में जोड़ने का तरीका, नेटवर्क टोपोलॉजी कहलाता है। नेटवर्क के विभिन्न नोट किस प्रकार आपस में जुड़े होते हैं, और किस तरह से वे आपस में कम्युनिकेट (Communicate) करते हैं यह नेटवर्क टोपोलोजी ही निर्धारित करता है। निम्न प्रकार के नेटवर्क टोपोलॉजी होते हैं :

Network Topology, Star Topology, Bus Topology, Ring Topology, Tree Topology, Mesh Topology
i) Star Topology

स्टार टोपोलॉजी में एक Main Host Computer (Central Hub) होता है जो सभी लोकल कंप्यूटर (node) से जोड़ दिया जाता है। अन्य कंप्यूटर या नोड आपस में होस्ट कंप्यूटर के द्वारा ही जुड़े रहते हैं। इसमें सभी लोकल कंप्यूटर (node) आपस में एक दूसरे से connected नहीं होते हैं जिस कारण वे आपस में directly communicate नहीं कर सकते। इसमें विभिन्न नोड या टर्मिनल आपस में सीधा संपर्क ना करके होस्ट कंप्यूटर द्वारा संपर्क स्थापित करते हैं। होस्ट कंप्यूटर द्वारा ही सभी नेटवर्क को कंट्रोल किया जाता है।

Advantages :- किसी एक लोकल कंप्यूटर (नोड) पर error आने या खराब हो जाने पर नेटवर्क के दूसरे हिस्से पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। नया नोट जोड़ने का नेटवर्क पर प्रभाव नहीं पड़ता है।

Disadvantages :- Host Computer (Central Hub) में error आने या खराब हो जाने पर पूरा नेटवर्क प्रभावित होता है।

ii) Bus Topology

इसमें एक केबल, जिसे ट्रांसमिशन लाइन (Transmission Line) कहा जाता है, के जरिए सारे लोकल कंप्यूटर (नोड) जुड़े रहते हैं। इसमें सभी कंप्यूटर आपस में कनेक्टेड रहते हैं और डायरेक्टली कम्युनिकेट कर सकते हैं। इसी कारण इसे ब्रॉडकास्ट नेटवर्क (Broadcast Network) भी कहते हैं। डाटा को पैकेट फॉर्म में send किया जाता है जिसमें एक एड्रेस रहता है। कंप्यूटर नोड्स इस एड्रेस को पढ़कर अपने लिए बने डाटा को receive करते हैं। लोकल एरिया नेटवर्क में मुख्य रूप से बस टोपोलॉजी का ही प्रयोग किया जाता है। बस टोपोलॉजी में सामान्यता: Ethernet Protocol का इस्तेमाल किया जाता।

Advantages – इसमें कम केबल की जरूरत पड़ती है। इसलिए इसमें खर्च भी कम पड़ता है। किसी एक कंप्यूटर में error आने पर पूरा नेटवर्क प्रभावित नहीं होता है। और इसमें नया नोड जोड़ना आसान है।

Disadvantages – ट्रांसमिशन लाइन में error आने पर सारा नेटवर्क प्रभावित होता है। इसमें एक बार में केवल एक ही लोकल कंप्यूटर द्वारा डाटा संचारित किया जा सकता है।

iii) Ring Topology

इसमें सभी नोड आपस में एक दूसरे के साथ Ring या Loop में जुड़े होते हैं। इस टोपोलॉजी में कोई होस्ट, मुख्य या कंट्रोलिंग कंप्यूटर नहीं होता है। इसमें सभी कंप्यूटर अपने subordinate कंप्यूटर के साथ जुड़े होते हैं। प्रत्येक नोड अपने निकटतम नोड से डाटा प्राप्त करता है, अगर वह डाटा उसके लिए है तो वह उसका उपयोग करता है अन्यथा उसे अगले नोड को भेज देता है। इसमें प्रत्येक नोड के साथ रिपीटर लगा रहता है जो सूचनाओं को फिर से send कर सकता है।

Advantages – इसमें होस्ट कंप्यूटर की आवश्यकता नहीं पड़ती। किसी कंप्यूटर या केवल में error आने पर दूसरे दिशा की तरफ से कार्य किया जा सकता है।

Disadvantages – किसी एक है रिपिटर में error आने पर पूरा नेटवर्क प्रभावित होता है। इसमें नेटवर्क की स्पीड कंप्यूटर की संख्या पर निर्भर करती है। अगर कम कंप्यूटर है तो नेटवर्क की स्पीड अधिक होगी और अगर ज्यादा कंप्यूटर है तो नेटवर्क की स्पीड धीमी हो जाती है।

iv) Tree Topology

इसमें स्टार टोपोलॉजी और बस टोपोलॉजी दोनों के ही गुण शामिल होते हैं। स्टार टोपोलॉजी की तरह इसमें एक होस्ट कंप्यूटर होता है। जो सभी अन्य कंप्यूटर (नोड) को कंट्रोल करता है। और बस टोपोलॉजी की तरह सभी कंप्यूटर एक ही केबल लाइन (Backbone Line) के जरिए कनेक्टेड (Connected) रहते हैं। यह एक पेड़ के समान दिखाई देता है।

Advantages – प्रत्येक सेगमेंट के लिए पॉइंट तार बिछाया जाता है। किसी एक नोड में error आने से नेटवर्क में कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।

Disadvantages – बैकबोन लाइन (Backbone Line में error आने पर पूरा नेटवर्क प्रभावित होता है। अन्य नेटवर्क टोपोलॉजी की तुलना में इसमें तार बिछाना और इसे configure करना ज्यादा कठिन होता है।

v) Mesh Topology

इस टोपोलॉजी में प्रत्येक नोड डाटा ट्रांसफर करता है और डाटा कम्युनिकेशन में सहायक होता है। इसमें कोई होस्ट या मुख्य कंप्यूटर नहीं होता है। मेश नेटवर्क टोपोलॉजी दो प्रकार के होते हैं – Full Mesh Topology और Partial Mesh Topology. पूर्ण मेश टोपोलॉजी में सभी कंप्यूटर आपस में एक दूसरे से जुड़े होते हैं। सभी कंप्यूटर एक दूसरे के साथ डाटा ट्रांसफर कर सकते हैं। जबकि Partial Mesh Topology में कम से कम एक नोड नेटवर्क के प्रत्येक नोड से जुड़ा होता है जबकि अन्य नोड आपस में जुड़े हो भी सकते हैं और नहीं भी।

Advantages – किसी एक कंप्यूटर में error आने पर नेटवर्क पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। इसमें कई कंप्यूटर एक साथ डाटा ट्रांसफर कर सकते हैं।

Disadvantages – इसके निर्माण और रखरखाव में अधिक खर्च होता है।

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तो दोस्तों, अब आप कंप्यूटर नेटवर्क के बारे में सब कुछ जान गए होंगे। (Computer Network Kya Hai?) (Network Ke Prakar), (Classification of Network), (Component of Network), इत्यादि। सभी कुछ सीख गए होंगे। उम्मीद करता हूँ की आपको पोस्ट पसंद आई होगी। और मेरे बताये गए सभी बाते आपको समझ में भी आ गयी होंगी। अगर आपके मन में अभी भी कोई सवाल है, तो आप हमें कमेंट करके पूछ सकते है। पोस्ट पसंद आई हो तो प्लीज इस पोस्ट को अपने सभी दोस्तों के साथ सोशल मीडिया में जरूर शेयर करें। इसके अलावा THG को Follow करके सभी नए पोस्ट की जानकारी लगातार प्राप्त कर सकते है। 

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