कंप्यूटर मेमोरी और उसके प्रकार | What is Computer Memory | Types of Memory

हेलो दोस्तो, Computer Memory Kya Hai? Types of Memory (मेमोरी के प्रकार?) मेमोरी का वर्गीकरण? इत्यादि के बारे में आज हम इस पोस्ट में सीखेंगे। अगर आप भी जानना और सीखना चाहते हैं, What is Memory?, Brief Explain about Memory?, Types of Memory? Etc. तो इस पोस्ट को पूरा पढ़ें। मुझे उम्मीद हैं, पोस्ट पूरा पढने के बाद आपको मेमोरी के बारे में पूरी जानकारी हो जाएगी।

कंप्यूटर मेमोरी और उसके प्रकार | What is Computer Memory | Types of Memory

 

मेमोरी क्या हैं? (What is Memory)

कंप्यूटर में मेमोरी का प्रयोग डाटा, प्रोग्राम और अनुदेशकों (Instructions) को स्थाई या अस्थाई तौर पर संग्रहित (Store) करने के लिए किया जाता है। ताकि प्रोसेसिंग के दौरान या बाद में किसी भी समय आवश्यकता अनुसार उनका उपयोग किया जा सके। इनपुट यूनिट्स के द्वारा कंप्यूटर में दर्ज किये गए  डाटा और निर्देश, स्टोरेज मीडिया के द्वारा कंप्यूटर में स्टोर किये जाते हैं। मेमोरी कि storage capacity मेमोरी पैकेज के प्रकार पर निर्भर करती हैं।

मेमोरी कंप्यूटर का एक बहुत ही महत्वपूर्ण पार्ट होता हैं जहाँ सभी डाटा और निर्देश बाइनरी नंबर (0 और 1) के रूप में स्टोर कि जाती हैं। डाटा और निर्देशों को कंप्यूटर में स्टोर करने के लिए, कंप्यूटर कई प्रकार कि उपकरणों का इस्तेमाल करता हैं जो इसके संचालन के लिए जरूरी होता हैं। कंप्यूटर मेमोरी को आमतौर पर दो श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाता हैं। जिसको निचे विस्तार से समझाया गया गया हैं।

मेमोरी की इकाईयां (Memory Units)

8 Bits1 Bytes
1 KB (Kilobyte)1024 Bytes
1 MB (Megabyte)1024 KB
1 GB (Gigabytes)1024 MB
1 TB (Terabyte)1024 GB
1 PB (petabyte)1024 TB

 

मेमोरी के प्रकार (Types of Memory)

मुख्य रूप से दो प्रकार की मेमोरी होती है प्राथमिक / मुख्य (Primary / Main) मेमोरी और द्वितीयक / सहायक (Secondary / Auxiliary) मेमोरी। वह मेमोरी यूनिट (MU) जो सीधे सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट (CPU) से संपर्क रखता है और हर समय कंप्यूटर से जुड़ा रहता है, प्राथमिक या मुख्य मेमोरी कहलाता है। प्राथमिक मेमोरी अनेक छोटे भागों में बटी होती है जिन्हें लोकेशन या सेल (Location or Cell) कहते हैं। हर एक लोकेशन में एक निश्चित बिट (Bit) जिसे वर्ड लेंथ (Word Length) कहते हैं, स्टोर की जा सकती है।

कंप्यूटर में वर्ड लेंथ 8, 16, 32 या 64 बिट की हो सकती है। प्राथमिक मेमोरी की स्पीड बहुत तेज होती है, पर इसकी स्टोरेज कैपेसिटी लिमिटेड और price बहुत ज्यादा होती हैं। लोकेशन में डाटा संग्रहित करने को लिखना (Write) और लोकेशन से डाटा प्राप्त करने को पढ़ना (Read) कहते हैं। प्राइमरी मेमोरी सामान्य तौर पर इलेक्ट्रॉनिक या सेमीकंडक्टर मेमोरी होती है। इनमें इंटीग्रेटेड सर्किट (IC – Integrated Circuit) का प्रयोग किया जाता है जो सिलिकॉन चिप से बने होते हैं।

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इसके विकास का श्रेय जे. इस. किलबी को जाता है। सिलिकॉन चिप मुख्यतः गैलियम आर्सेनाइड के बने होते हैं। प्राइमरी मेमोरी सामान्यता अस्थाई (Temporary / Volatile) मेमोरी है। रजिस्टर,  कैश मेमोरी (Cache Memory), ROM, और RAM प्राइमरी मेमोरी के उदाहरण है। प्राइमरी मेमोरी को हम मुख्य रूप से तीन भागों में बात सकते हैं। प्राइमरी मेमोरी को स्थायी मेमोरी (Non Volatile), कैश मेमोरी (Cache) और अस्थायी मेमोरी (Volatile) में बाटा जा सकता हैं।

Classification of Memory, Types of Memory

प्राथमिक / मुख्य मेमोरी (Primary / Main Memory)

वह मेमोरी यूनिट जो सीधे Central Processing Unit से संपर्क रखता हैं और हर समय कंप्यूटर से जुड़ा रहता हैं, प्राथमिक या मुख्य मेमोरी कहलाता हैं। प्राइमरी मेमोरी कई छोटे छोटे भागों में बंटे होते हैं जिन्हें लोकेशन या सेल (Location or Cell) कहते हैं। प्राथमिक मेमोरी मुख्यतः इलेक्ट्रॉनिक या सेमीकंडक्टर मेमोरी होती हैं। इनमे इंटीग्रेटेड सर्किट (IC) का प्रयोग किया जाता हैं जो सिलिकॉन चिप से बने होते हैं। प्राथमिक मेमोरी को तीन भागों में वर्गीकृत किया जाता हैं :
Types of Primary Memory or Main Memory
 स्थायी मेमोरी (Non-Volatile Memory)
वह मेमोरी यूनिट जिसमे विद्दुत सप्लाई बंद हो जाने पर भी डाटा बना रहता हैं, स्थित या स्थायी (Non Volatile) मेमोरी कहलाता हैं। मतलब यह कि ऐसा मेमोरी जिसमे डाटा हमेशा सुरक्षित रहता हो, परमानेंट सेव होता हो, वह मेमोरी स्थायी (Non Volatile) होती हैं। स्थायी मेमोरी को हम चार भागों में वर्गीकृत कर सकते हैं :
स्थायी मेमोरी (Non-Volatile Memory)
>> ROM (Read Only Memory)
यह एक स्थायी (Non Volatile) इलेक्ट्रॉनिक मेमोरी हैं जिसमे स्टोर डाटा और सूचनाएं (Information) स्वंय नष्ट (Remove) नहीं होती हैं और उन्हें कभी भी बदला जा सकता हैं। ROM में सूचनाएं, निर्माण के समय ही भर दी जाते हैं। और कंप्यूटर इन्हें केवल पढ़ सकता हैं, इनमे किसी प्रकार का कोई परिवर्तन नहीं कर सकता हैं। कंप्यूटर कि पॉवर सप्लाई बंद कर देने पर भी स्टोर डाटा और सूचनाएं बनी रहती हैं।
ROM का निर्माण सेमीकंडक्टर डिवाइस से लिया जाता हैं इसलिए इसे इलेक्ट्रॉनिक या सेमीकंडक्टर मेमोरी भी कहा जाता हैं। ROM का प्रयोग कंप्यूटर में data और information को permanent save करने के लिए किया जाता हैं। ROM में कंप्यूटर को start करने के लिए आवश्यक सुचना जैसे – Instruction Set, System Boot Program, Etc. स्टोर किया जाता हैं। ROM में बायोस (BIOS – Basic Input Output System) होता हैं जो कंप्यूटर चालू करने पर पोस्ट (POST – Power On Self Test) प्रोग्राम चलाता हैं।
>> PROM (Programmable Read Only Memory)
PROM का पूरा नाम Programmable Read Only Memory हैं। इस प्रकार के मेमोरी में एक बार डाटा या सुचना को स्टोर करने के बाद, उसे डिलीट या मिटाया नहीं जा सकता और ना ही परिवर्तित किया जा सकता हैं। यह एक स्पेशल टाइप का रोम मेमोरी हैं जिसमे एक विशेष प्रक्रिया द्वारा उपयोगकर्ता के अनुकूल डाटा को प्रोग्राम किया जा सकता हैं। PROM में हजारों डायोड होते हैं जिन्हें उच्च वोल्टेज से फ्यूज कर वांछित सुचना रिकॉर्ड कि जाती हैं। एक बार प्रोग्राम कर दिए जाने के बाद यह सामान्य ROM कि तरह हो जाता हैं।
>> E-PROM (Erasable Programmable Read Only Memory)
E-PROM का पूरा नाम Erasable Programmable Read Only Memory हैं। यह PROM कि तरह ही होते हैं लेकिन इसमें स्टोर किये गए डाटा या प्रोग्राम को पराबैंगनी किरणों (Ultra Violet Rays) कि मदद से मिटाया जा सकता हैं और नए डाटा या प्रोग्राम स्टोर किया जा सकता हैं। इसके लिए E-PROM को Circuit से निकालना पढता हैं। इसे Ultra Violet E-PROM भी कहा जाता हैं।
>> EE-PROM (Electrically Erasable Programmable Read Only Memory)
EE-PROM का पूरा नाम Electrically Erasable Programmable Read Only Memory हैं। इस तरह के ROM को सर्किट निकाले बिना इस पर स्टोर डाटा और प्रोग्राम को विद्दुत (इलेक्ट्रिक) कि मदद से मिटाया जा सकता हैं और नया डाटा इसमें सेव कर सकते हैं। इस प्रकार के मेमोरी में स्टोर डाटा को मिटने के लिए अल्ट्रा वायलेट रे कि जरूरत नहीं पढ़ती हैं।
आज कि मॉडर्न युग में EE-PROM का उपयोग बढ़ रहा हैं। इसे फ़्लैश मेमोरी भी कहा जाता हैं। इसका सबसे अच्छा उदहारण पेन ड्राइव (Pen Drive) हैं। इस प्रकार के इलेक्ट्रॉनिक मेमोरी का प्रयोग अनेक प्रकार के आधुनिक डिवाइस में किया जाता हैं जैसे – डिजिटल कैमरा, लैपटॉप, स्मार्टफ़ोन, मोबाइल फ़ोन, पर्सनल कंप्यूटर (PC), इत्यादि। फ़्लैश मेमोरी एक पोर्टेबल सेमीकंडक्टर मेमोरी हैं जिसमे ROM और RAM दोनों कि विशेषताएं मौजूद हैं। इसमें विषम परिस्थितियों में भी डाटा को सुरक्षित रखने कि क्षमता हैं।
 कैश मेमोरी (Cache Memory)
मेमोरी से डाटा प्राप्त करने कि गति CPU के डाटा process करने कि गति से काफी धीमी होती हैं, मेमोरी और प्रोसेसर के बिच इस गति अवरोध (Speed Mismatch) को दूर करने के लिए कैश मेमोरी (Cache Memory) का प्रयोग किया जाता हैं। कैश मेमोरी एक बहुत ही तेज़ (High Speed) मेमोरी हैं जो प्राइमरी मेमोरी और CPU के बिच बार बार प्रयोग में आने वाले डाटा और निर्देशों को स्टोर करता हैं। कैश मेमोरी के high speed होने के कारण प्रोसेसर कि स्पीड भी काफी ज्यादा बढ़ जाती हैं।
कैश मेमोरी, CPU से सीधे जुड़ा होता हैं। कैश मेमोरी से CPU तक सुचना लाने और ले जाने के लिए कंप्यूटर मदरबोर्ड के सिस्टम बस का प्रयोग नहीं करना पढता हैं इसलिए डाटा ट्रान्सफर कि गति तेज होती हैं। यह CPU और प्राइमरी मेमोरी (Main Memory) के बिच बफर (Buffer) का काम करता हैं। कैश मेमोरी कि मदद से किसी भी डाटा या निर्देशों को कम समय में काफी जल्दी ट्रान्सफर किया जा सकता हैं।
 अस्थायी मेमोरी (Volatile Memory)
कंप्यूटर कि एसी मेमोरी जिसमे डाटा को सुरक्षित रखने के लिए Power का On रहना जरूरी हैं। या दुसरे सब्दों में समझे जिस मेमोरी का डाटा विद्दुत सप्लाई बंद (Power Off) हो जाने पर नष्ट हो जाता हैं वोलेटाइल मेमोरी कहलाती हैं। इस प्रकार के मेमोरी, डाटा या निर्देशों को अस्थायी (Temporary) तौर पर स्टोर करती हैं। यह डाटा कंप्यूटर में तब तक स्टोर रहती हैं जब तक कंप्यूटर की पॉवर सप्लाई चल रही हैं। RAM अस्थायी मेमोरी का उदहारण हैं।
>>रैम (RAM – Random Access Memory)
RAM का पूरा नाम Random Access Memory हैं। यह माइक्रोचिप से बना एक High Speed Semiconductor Memory हैं। इसका उपयोग डाटा को Read या Write करने के लिए किया जाता हैं। RAM कंप्यूटर के प्राइमरी मेमोरी का एक पार्ट होता हैं जिसे CPU से direct access किया जा सकता हैं। इसलिए इसे Direct Access Memory भी कहा जाता हैं।
RAM एक प्रकार कि अस्थायी मेमोरी (Volatile Memory) होती हैं जिसका अर्थ हैं, कंप्यूटर की पॉवर सप्लाई बंद होते ही RAM में स्टोर सभी डाटा Remove हो जाता हैं। इसकी Storage Capacity कम होती हैं Secondary Memory कि तुलना में पर Speed ज्यादा होती हैं। कंप्यूटर में सभी running program और programs के data RAM पर ही चलते और स्टोर होते हैं। RAM दो प्रकार के होते हैं :
Types of RAM

☆ Static RAM
Static RAM को SRAM भी कहा जाता हैं। Static का अर्थ हैं “स्थिर” मतलब ये की इसमें डाटा तब तक रुका रहेगा जब तक कंप्यूटर में current flow होता रहेगा। एक बार कंप्यूटर का power off हो जाने पर इसकी सभी डाटा नष्ट हो जाएँगी। इस RAM को बार बार refresh करने कि आवश्यकता नहीं पढ़ती हैं इसमें डाटा स्थिर रहता हैं।
☆ Dynamic RAM
Dynamic RAM, Static RAM के ठीक उल्टा होता हैं। इसे DRAM के नाम से भी जाना जाता हैं। DRAM को बार बार Refresh करने कि जरूरत पढ़ती हैं डाटा को सुरक्षित (Save) रखने के लिए। DRAM के Capacitor जो डाटा को स्टोर करते हैं, वो धीरे धीरे power energy को कम करते रहते हैं। एक बार power discharge हो गया, तो सभी डाटा भी डिलीट हो जाती हैं। इसमें लगातार बदलाव होते रहते हैं, इसलिए इसका नाम Dynamic RAM (DRAM) रखा गया हैं।
 

सेकेंडरी / सहायक मेमोरी (Secondary / Auxiliary Memory)

Secondary Memory को सहायक मेमोरी (Auxiliary Memory) भी कहा जाता हैं। सेकेंडरी मेमोरी में डाटा और सूचनाओं को बड़ी मात्रा में स्टोर करने के लिए इस्तेमाल किया जाता हैं। यह मेमोरी कंप्यूटर सिस्टम का पार्ट नहीं होता हैं, इस मेमोरी को कंप्यूटर में अलग से जोड़ा (Add किया) जाता हैं। इसे स्थायी मेमोरी (Permanent Memory) भी कहा जाता हैं। इसकी स्टोरेज capacity भी बहुत ज्यादा होती हैं।
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Secondary Memory की Storage Capacity भले ही काफी ज्यादा होती हैं, पर इसमें डाटा ट्रान्सफर कि स्पीड बहुत धीमी होती हैं। इस मेमोरी का इस्तेमाल ज्यादातर बैकअप डाटा को स्टोर करने के लिए किया जाता हैं। इसमें स्टोर किया गया सभी डाटा स्थायी होता हैं। मतलब की कंप्यूटर की पॉवर सप्लाई बंद होने पर भी इसमें स्टोर डाटा डिलीट नहीं होती हैं। यूजर, इस मेमोरी में स्टोर डाटा को कभी भी खोल कर देख सकते है और उसमे बदलाव भी कर सकते हैं और चाहे तो डाटा को डिलीट भी कर सकते हैं। मैग्नेटिक टेप, मैग्नेटिक डिस्क (फ्लॉपी डिस्क और हार्ड डिस्क),  ऑप्टिकल डिस्क, इत्यादि सेकेंडरी / सहायक मेमोरी के उदहारण हैं।
सेकेंडरी / सहायक मेमोरी - Secondary Memory
 क्रमानुसार मेमोरी (Sequential Access Memory)
मेमोरी में डाटा अलग अलग लोकेशन पर स्टोर किया जाता हैं। जिस मेमोरी यूनिट में किसी भी लोकेशन पर स्टोर डाटा को पढने या डाटा स्टोर करने में एक सामान समय लगता हैं उसे रैंडम एक्सेस मेमोरी (Random Access Memory) कहा जाता हैं। इसके अलावा अगर किसी मेमोरी के डाटा को क्रमानुसार एक के बाद एक करके पढ़ा जाता हैं, तो उसे Sequential Access Memory कहते हैं। मैग्नेटिक टेप (Magnetic Tape) Sequential Access Memory का उदाहरण हैं।
इस प्रकार के मेमोरी के डाटा को क्रमानुसार ही पढ़ा जा सकता हैं। इस कारण इस मेमोरी से डाटा को पढने में समय अधिक लगता हैं। इस कारण इसका उपयोग एसी जगह किया जाता हैं, जहाँ पर लगभग सभी डाटा को प्रोसेस करने कि जरूरत पढ़ती हैं। जैसे – बिजली का बिल बनाना या Pay Roll बनाना, इत्यादि।
>> मैग्नेटिक टेप (Magnetic Tape)
मैग्नेटिक टेप, Sequential Access Memory का उदाहरण हैं। इसमें एक प्लास्टिक रिबन पर चुम्बकीय पदार्थ (Iron Oxide or Chromium Oxide) कि परत चढ़ी रहती हैं जिसे विद्दुतीय हेड से प्रभावित कर डाटा स्टोर किया जाता हैं। मैग्नेटिक टेप पर स्टोर किए गए डाटा को रिकॉर्ड कहा जाता हैं। दो अलग अलग डाटा में अंतर करने के लिए उनके बीच कुछ खली जगह छोड़ दिया जाता हैं जिसे Inter Record Gap कहा जाता हैं।
मैग्नेटिक टेप, बड़ी मात्रा में डाटा को स्टोर करने के लिए प्रयोग किया जाता हैं। डाटा को कितनी भी बार लिखा और मिटाया जा सकता हैं। नया डाटा लिखने पर पुराना डाटा स्वयं मिट जाता हैं। मैग्नेटिक टेप डाटा स्टोर करने का एक सस्ता माध्यम हैं। इसका इस्तेमाल ज्यादा डाटा का बैकअप लेने के लिए किया जाता हैं। मैग्नेटिक टेप के डाटा को पढने के लिए मैग्नेटिक टेप ड्राइव का उपयोग किया जाता हैं।
 डायरेक्ट एक्सेस मेमोरी (Direct Access Memory)
direct एक्सेस मेमोरी में किसी भी डाटा या सूचना को सीधे पढ़ा जा सकता हैं। और इसी कारण डाटा को पढने में समय कम लगता हैं। डायरेक्ट एक्सेस मेमोरी से डाटा पढने में लगा समय, डिस्क पर डाटा कि स्थिति और present time में Read-Write Head कि स्थिति पर निर्भर करता हैं। Read-Write Head के डाटा लोकेशन तक पहुँचने में लगने वाला समय अलग अलग हो सकता हैं। पर यह समय इतना कम होता हैं कि किसी भी डाटा को पढने में लगने वाले समय को लगभग समान माना जा सकता हैं।
Types of Direct Access Memory
>> मैग्नेटिक डिस्क (Magnetic Disk)
यह एक स्थायी (Non-Volatile) मेमोरी हैं। मैग्नेटिक डिस्क में स्टोर किया गया डाटा स्थायी रूप से स्टोर होते हैं। इसमें धातु या प्लास्टिक से बने पतले डिस्क पर चुम्बकीय पदार्थ जैसे – आयरन ऑक्साइड कि परत चढ़ा दी जाती हैं। मैग्नेटिक डिस्क पर डाटा रिकॉर्ड करने और डाटा पढने के लिए Read-Write Head होता हैं जो डिस्क के चुम्बकीय पैटर्न में बदलाव कर डिजिटल डाटा स्टोर करता हैं। यह एक सस्ता स्टोरेज डिवाइस हैं जो अधिक मात्रा में डाटा स्टोर कर सकता हैं। और इसका एक्सेस time भी कम होता हैं। फ्लॉपी डिस्क और हार्ड डिस्क मैग्नेटिक डिस्क के उदाहरण हैं।
☆ फ्लॉपी डिस्क (Floppy Disk)
Floppy Diskफ्लॉपी डिस्क को सन 1969 मैं बनाया गया था। यह बहुत ही पतली और लचीली होती है इसलिए इन्हें फ्लॉपी डिस्क या डिस्केट (Diskette) कहते हैं। फ्लॉपी डिस्क एक प्रकार का डाटा स्टोरेज डिवाइस होता है जिसका उपयोग कंप्यूटर के डाटा को स्टोर करने के लिए किया जाता है। यह मैग्नेटिक डिस्क होती है जो सेकेंडरी या External मेमोरी का पार्ट होता है।फ्लॉपी डिस्क प्लास्टिक का बना हुआ होता है जिस पर चुंबकीय पदार्थ की लिप चढ़ी रहती है। सुरक्षा के लिए इसके ऊपरी हिस्से को प्लास्टिक से बंद रखा जाता हैं तथा इसके बीच में धातु की बनी गोल धुरी होती है। इसके निचले हिस्से के कोने पर एक Security Hole होता है जिसे बंद कर देने पर फ्लॉपी के डाटा में परिवर्तन नहीं किया जा सकता। High Density वाले फ्लॉपी की स्टोरेज कैपेसिटी 1.44 MB होती है। जबकि Very High Density वाले फ्लॉपी की स्टोरेज कैपेसिटी 2.88 MB होती हैं।

☆ हार्ड डिस्क (Hard Disk)
Hard Disk

हार्ड डिस्क एक प्रकार का स्टोरेज डिवाइस है जिसका उपयोग हम अपने कंप्यूटर के डाटा को स्टोर करने के लिए करते हैं। हार्ड डिस्क डाटा को परमानेंटली स्टोर करता है इस प्रकार यह एक स्थाई (Non Volatile), डायरेक्ट एक्सेस तथा सहायक मेमोरी हैं। सबसे पहला हार्ड डिस्क 1956 में आईबीएम (IBM – International Business Machines) कंपनी ने बनाया था जिसकी स्टोरेज कैपेसिटी 5 MB थी और वजन करीब 250 KG था।

हार्ड डिस्क की स्टोरेज कैपेसिटी बहुत ज्यादा होती है और डाटा स्टोर करने और पढ़ने की स्पीड भी काफी तेज होती है। कंप्यूटर का ऑपरेटिंग सिस्टम, सॉफ्टवेयर और विभिन्न प्रकार के एप्लीकेशन हार्ड डिस्क में ही स्टोर किए जाते हैं। इसमें डाटा को इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फील्ड के द्वारा लिखा और पढ़ा जाता है। इसके अंदर एक गोल डिस्क होती है जिसपर डाटा डिजिटली स्टोर होता है और यह डिस्क बहुत तेज से घूमती है जिसके स्पीड को आरपीएम (RPM – Revenue Per Minute) में मापा जाता है।

>> ऑप्टिकल डिस्क (Optical Disk)
ऑप्टिकल डिस्क एक इलेक्ट्रॉनिक डाटा स्टोरेज डिवाइस है जिसमें लेजर बीम के द्वारा डाटा को स्टोर किया जाता है। दुनिया का पहला ऑप्टिकल डिस्क सन 1960 में James T. Russell द्वारा बनाई गई थी जो Micron Wide Dots के रूप में डाटा को स्टोर करती थी। यह पॉलीकार्बोनेट से बना एक प्लास्टिक का गोल डिस्क होता है जिसकी एक सतह को प्रकाश परावर्तित करने के लिए एलुमिनियम की पतली परत चढ़ा कर चमकदार बनाया जाता है।
ऑप्टिकल डिस्क का एक्सेस टाइम मैग्नेटिक डिस्क से अधिक होता है, इसलिए इसमें डाटा को पढ़ने में अधिक समय लगता है। लेकिन इसमें डाटा को बड़ी मात्रा में स्टोर किया जा सकता है। ऑप्टिकल डिस्क में ऑडियो, वीडियो, मल्टीमीडिया एप्लीकेशन, और सॉफ्टवेयर प्रोग्राम को स्टोर करने के लिए प्रयोग किया जाता है। ऑप्टिकल डिस्क पर डाटा लिखने या पढ़ने के लिए लेजर बीम का प्रयोग होता है इसलिए इसे लेजर डिस्क (Lazer Disk) भी कहते हैं।
Types of Optical Disk
☆ ब्लू रे डिस्क (Blu Ray Disk)
ब्लू रे डिस्क भी एक स्टोरेज डिवाइस हैं जो ऑप्टिकल डिस्क का ही एक प्रकार हैं। इसका आकार सामान्य CD या DVD कि तरह ही होता हैं। धूल और खरोच से इसके ख़राब होने का दर भी कम रहता हैं। ब्लू रे, स्टोर डाटा को पढने या लिखने के लिए Blue Violet Laser Rays का इस्तेमाल करता हैं। इसकी स्टोरेज कैपेसिटी 25GB या 50GB हो सकती हैं।
☆ सीडी-रोम (CD-ROM)
CD ROM एक स्टोरेज डिवाइस हैं। इसका पूरा नाम Compact Disk – Read Only Memory होता हैं। इसमें एक बार डाटा स्टोर हो जाने के बाद, कोई परिवर्तन नहीं किया जा सकता और ना ही इसके डाटा को डिलीट किया जा सकता। इसमें डाटा पढने के लिए InfraRed Laser Beam का प्रयोग होता हैं।
☆ सीडी-आर (CD-R)
CD-R का पूरा नाम Compact Disk – Recordable होता हैं। यह सामान्य कॉम्पैक्ट डिस्क की तरह ऑप्टिकल डिस्क का एक प्रकार हैं। जिसमे कंप्यूटर के डाटा को CD Drive कि मदद से स्टोर किया जा सकता हैं। इसे WORM कहा जाता हैं जिसका अर्थ हैं Write Once, Read Many. इस पर केवल एक बार लिखा जा सकता हैं जबकि बार बार पढ़ा जा सकता हैं। एक बार लिखे जाने के बाद डाटा बदला नहीं जा सकता। लेकिन इसमें बाकी बचे खाली सतहों पर डाटा को अलग अलग समय में रिकॉर्ड किया जा सकता हैं।
☆ सीडी-आर/डब्ल्यू (CD-R/W)
इसका पूरा नाम Compact Disk – Re-Writable होता हैं। CD R/W एक सामान्य CD कि तरह दीखता हैं और ऑप्टिकल डिस्क का एक प्रकार होता हैं। इस प्रकार के डिस्क पर धातु कि एक परत होती हैं। इसमें डाटा को बार बार लिखा और पढ़ा जा सकता हैं।
☆ डीवीडी (DVD)
DVD का पूरा नाम डिजिटल वर्सटाइल / विडियो डिस्क (DVD – Digital Versatile/Video Disk) होता हैं। इसकी स्टोरेज कैपेसिटी अधिक होती हैं। यह सामान्य सीडी कि तरह ही दीखता हैं। आमतौर पर इसका इस्तेमाल मूवीज के लिए किया जाता हैं। इदमे डाटा के दो लेयर स्टोर किये जा सकते हैं। एक लेयेर कि कैपेसिटी 4.7GB और दो लेयर डिस्क कि कैपेसिटी 8.5GB होती हैं।
 
>> इलेक्ट्रॉनिक स्टोरेज डिवाइस (Electronic Storage Device)
इलेक्ट्रॉनिक स्टोरेज डिवाइस एक स्थाई (Non Volatile) और सहायक मेमोरी हैं। इस प्रकार के मेमोरी आधुनिक युग के नए स्टोरेज डिवाइस हैं। इसमें डाटा ट्रान्सफर करने कि स्पीड बहुत ज्यादा होती हैं और स्टोरेज कैपेसिटी भी अधिक होती हैं। इसमें डाटा स्टोर करने में लगा एक्सेस टाइम कम होता हैं। Flash Memory (Pen Drive) और मेमोरी कार्ड (Chip) इलेक्ट्रॉनिक स्टोरेज डिवाइस का उदाहरण हैं।
Electronic Storage Device
☆ फ़्लैश मेमोरी / पेन ड्राइव (Flash Memory / Pen Drive)
फ्लैश मेमोरी एक स्थाई (Non Volatile) मेमोरी चिप हैं जिसका इस्तेमाल पर्सनल कंप्यूटर और डिजिटल डिवाइस के बीच डाटा स्टोरेज और डाटा ट्रांसफर करने के लिए किया जाता है। फ़्लैश मेमोरी एक प्रकार का electrically erasable programmable read only memory (EE-PROM) होता है। जिसमें पुराने डाटा को मिटाकर नया डाटा बार-बार स्टोर किया जा सकता है। यह आकार में पेन की तरह होता है और इसका आकार इतना छोटा होता है कि इसे आसानी से जेब में रखकर एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाया जा सकता है।
 
पेन ड्राइव में स्टोर डाटा को पढ़ने, परिवर्तित करने या स्टोर करने के लिए यूएसबी पोर्ट (USB – Universal Serial Bus Port) का इस्तेमाल करना होता है। यह एक तरह का एक्सटर्नल स्टोरेज डिवाइस (External Storage Device) है जिसे कंप्यूटर से अलग करने पर भी इसमें डाटा सुरक्षित रहता है। इसे धूल और खरोच से खराब होने का कोई खतरा नहीं होता है इसके अलावा इसमें मैग्नेटिक इंडक्शन का भी कोई प्रभाव नहीं होता है। पेनड्राइव की स्टोरेज कैपेसिटी बहुत ज्यादा होती है यह गीगाबाइट (GB) तक हो सकती है और इसकी डाटा ट्रांसफर की गति भी बहुत तेज होती है।
 
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☆ मेमोरी कार्ड / चिप (Memory Card / Chip)
मेमोरी कार्ड एक प्रकार का स्टोरेज मीडिया होता है जिसे आमतौर पर फोटोस और वीडियोस डाटा को स्टोर करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। यह मेमोरी काफी पतले और छोटे आकार में होता है। मेमोरी कार्ड का इस्तेमाल कंप्यूटर के अलावा अन्य इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज जैसे – मोबाइल फोन, स्मार्टफोन, डिजिटल कैमरा, डिजिटल कैमकॉर्डर, टैबलेट, MP3 प्लयेर, इत्यादि में भी किया जाता हैं।

प्राइमरी और सेकेंडरी मेमोरी में अंतर (Difference Between Primary & Secondary Memory)
Primary MemorySecondary Memory
LocationInternal (Directly Access By CPU)External (Indirectly Access By CPU)
TypesVolatile / Main MemoryNon Volatile / Auxiliary
CapacityLimited CapacityUnlimited Capacity
SpeedFastSlow
Access TimeLess Access Time (Nano Second)More Access Time (Mili Second)
ExpenseExpensiveCheap
ExampleRAM, ROM, Cache Memory, PROM, EPROM, Etc.Hard Disk, Pen Drive, Memory Card, CD, DVD, Etc.

 

रोचक तथ्य

>> ROM में प्रोग्राम या डाटा को फ्यूज लिन्क के जरिये डाला जाता हैं। एक बार डाटा भर देने पर फ्यूज लिन्क को जला दिया जाता हैं, ताकि डाटा को बदला ना जा सके। इस कारण ROM में डाटा डालने को “जलाना” (Burning in the Data) कहते हैं। 

>> फ्लॉपी डिस्क का नाम  Floppy उसके लोचदार (Flexible) प्लास्टिक प्लेट से बने होने के कारण पड़ा हैं। 

>> FAT (File Allocation Table), विंडोज OS में डिस्क formatting का एक तरीका हैं। लेकिन नए विंडोज ऑपरेटिंग सिस्टम जैसे – Windows XP, Windows 2000 तथा Windows 7, 8, 8.1, 10 में NTFS (New Technology File System) का प्रयोग किया जाता हैं। 

>> ऑप्टिकल डिस्क में डाटा 30 वर्षों तक सुरक्षित रह सकता हैं। पर धूल मिट्टी और खरोच (Scratch) से डाटा ख़राब होने का दर बना रहता हैं। 

>> 50GB डिजिटल डाटा में 9 घंटे का high डेन्सिटी विडियो (High Density Video) और 23 घंटे का स्टैण्डर्ड डेफिनिशन विडियो (Standard Definition Video) स्टोर कर सकते हैं। 

 

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तो दोस्तों, अब आप कंप्यूटर मेमोरी के बारे में जान गए होंगे। कंप्यूटर मेमोरी क्या हैं? कंप्यूटर मेमोरी के प्रकार? RAM क्या है? ROM क्या है? Hard Disk क्या हैं? Optical Disk क्या हैं? इत्यादि। उम्मीद करता हूँ की आपको पोस्ट पसंद आई होगी। और मेरे बताये गए सभी बाते आपको समझ में भी आ गयी होंगी। अगर आपके मन में अभी भी कोई सवाल है, तो आप हमें कमेंट करके पूछ सकते है। पोस्ट पसंद आई हो तो प्लीज इस पोस्ट को अपने सभी दोस्तों के साथ सोशल मीडिया में जरूर शेयर करें। इसके अलावा THG को Follow करके सभी नए पोस्ट की जानकारी लगातार प्राप्त कर सकते है।

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